कोरोना को चुनौती दे रहीं 'विशेष बच्चियां', मास्क बनाकर कर रही हैं निशुल्क वितरण

कोरोना के खिलाफ जंग में बड़ों के साथ बच्चे भी कूद पड़े हैं। ऐसी ही तीन विशेष बच्चियां हैं पूजा, मुस्कान और पूनम। व्याधियों को भुला कर भी इस कठिन समय में समाजसेवा में जुट गई हैं। ये तीनों बच्चियां इन दिनों युद्ध स्तर पर मास्क तैयार कर रही हैं। तो वहीं दूसरी ओर कैंसर पीड़ित बच्चों की माताएं भी ग्रामीणों के लिए मास्क तैयार कर रही हैं। खास बात यह है कि वे इन्हें निशुल्क वितरित कर रही हैं।


जानकीपुरम स्थित दृष्टि सामाजिक संस्थान में रहने वाली मुस्कान, पूजा और पूनम विशेष बच्चियां हैं। ये अपनी कई शारीरिक ये समझ नहीं सकतीं कि कोरोना क्या है, बस इनकी ट्रेनर और संस्थान की डायरेक्टर शालू ने इन्हें इशारे से समझा दिया है कि कोराना से बचने के लिए मास्क पहनना जरूरी है। तब से अब तक ये न केवल मास्क की अहमियत समझ रही हैं बल्कि उन्हें खुद तैयार करने में भी जुटी हैं।शालू बताती हैं कि हमारे यहां 260 बच्चे हैं। इन सबके लिए मास्क खरीदना संभव नहीं था। इसलिए हमने इसे बनवाने का फैसला किया। सिलाई की ट्रेनिंग इन बच्चों को दी ही जाती है। हमने इन्हें सिखाया और फिर तो जैसे रफ्तार पकड़ ली इन्होंने। खुद अपने लिए और संस्थान के पूरे स्टाफ  के लिए 300 के करीब मास्क इन बच्चों ने महज सात दिन में तैयार कर डाले।

बैंकवाले आए तो थे दान देने, मास्क का ऑर्डर देकर चले गए
शालू कहती हैं कि एक राष्ट्रीयकृत बैक के अधिकारी बच्चों के लिए कुछ सामान लेकर आए थे। उन्होंने मास्क की जरूरत पूछी। हमने उन्हें बताया कि बच्चे खुद ही तैयार कर रहे हैं तो उन्होंने 500 मास्क बनाने का ऑर्डर दे दिया। दस रुपये है मास्क की कीमत और पालीप्रोपलीन से बना है जिसे इस्तेमाल कर फेंका जा सकता है। पूजा, मुस्कान और पूनम का सहयोग अन्य बच्चे भी कर रहे हैं। शालू ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान बच्चों को व्यस्त रखना ज्यादा जरूरी है। खासकर इन विशेष बच्चों को। शालू कहती हैं कि ये हमारी कोरोना फाइटर्स हैं।



अपना दर्द भूलकर ग्रामीणों के लिए मास्क तैयार कर रहीं महिलाएं


दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है...। जी हां, दूसरों का दुख देखिए तो अपना दर्द खुद-ब-खुद कम लगने लगेगा। यह कहना है केजीएमयू में भर्ती कैंसर पीड़ित बच्चों की माताओं का।

एक तरफ  अपने बच्चे का इलाज तो दूसरी तरफ  कोरोना का डर। इन सबको भूल कर ये महिलाएं जुटी हैं मास्क तैयार कर उन्हें गांव के लोगों में निशुल्क बांटने में।

इनका नेतृत्व संभाला है काकोरी निवासी सरला ने जिनका बच्चा खुद कैंसर का मरीज था और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। सरला ने ईश्वर  वेलफेयर फाउंडेशन के सहयोग से खुद ही मास्क बनाने का जिम्मा लिया है।

उनका साथ दे  रहे हैं धर्मेन्द्र, विमला, माया और सुनीता। ये मास्क निशुल्क बांटे जा रहे हैं। सरला का कहना है कि अब तो बाहर के लोग गांव तक पहुंच गए हैं, वहां सुरक्षा के उपाय करने जरूरी है। एक दिन में कम से कम 100 मास्क खुद सरला तैयार कर रही हैं। टीम के कुछ सदस्य इन्हें गांव तक पहुंचाने में लगे हैं।