उमर अब्दुल्ला बोले- ऐसे समय अधिवास नियम जारी हो सकता है, तो महबूबा मुफ्ती रिहा क्यों नहीं हो सकतीं?

सरकार ने जम्मू-कश्मीर में नया अधिवास नियम जारी कर दिया है। इस पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कई सवाल उठाए हैं। उमर ने कहा कि यदि भारत सरकार के पास कोरोना वायरस जैसी महामारी के बीच अधिवास कानून जारी करने का समय है तो उन्हें महबूबा मुफ्ती को रिहा करने का समय क्यों नहीं मिल सकता है।


उन्होंने अधिवास अधिनियम जारी करने के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे समय हमारे सभी प्रयास और पूरा ध्यान कोरोना वायरस से लड़ने पर केंद्रित होना चाहिए था। उमर ने कहा कि अधिवास कानून इतना खोखला है कि दिल्ली के आशीर्वाद से बनी नई पार्टी जिसके नेता इस कानून के लिए दिल्ली में पैरवी कर रहे थे उन्हें भी इसकी आलोचना करने के लिए मजबूर होना पड़ा।


अब ये लोग ही माने जाएंगे जम्मू-कश्मीर के निवासी



बता दें कि आज यानी कि बुधवार को नया अधिवास नियम जारी किया। सरकार द्वारा जारी नए अधिवास नियम के अनुसार अब जम्मू कश्मीर का निवासी वह माना जाएगा जो कम से कम पंद्रह वर्षों तक जम्मू-कश्मीर में रहने वाला हो। ऐसे ही व्यक्ति अब केंद्र शासित प्रदेश के निवासी होने के योग्य होंगे। नवीनतम राजपत्र अधिसूचना में, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020, जम्मू-कश्मीर सिविल सेवा (विकेंद्रीकरण और भर्ती) अधिनियम के तहत, अधिवास को परिभाषित करने के लिए जारी किया गया है।

इसके तहत उनको जम्मू कश्मीर का निवासी माना जाएगा जो संघ राज्य में 15 वर्षों से रह रहे हैं। अथवा सात साल की अवधि तक प्रदेश में पढ़ाई की हो और कक्षा 10 या 12वीं की परीक्षा में जम्मू-कश्मीर में स्थित किसी शैक्षणिक संस्थान में उपस्थित रहे हों। 5 अगस्त से पहले जम्मू-कश्मीर के निवासी के रूप में उन्हें परिभाषित किया जाता था जो नौकरियों में हिस्सा लेते थे या जिनके पास यहां स्वयं की अचल संपत्ति होती थी।